उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग की समझ को दाद देनी होगी. इसने निजी संस्था एमआईटी को मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (अमरीका) समझ कर इसके साथ करार कर लिया और अब जाकर सच्चाई का पत चल पाया है.
अखिलेश सरकार ने उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी (यूपीटीयू) और प्राइवेट फर्म एमआईटी मीडिया लैब के बीच हुए एमओयू (मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टस्टेडिंग) को समाप्त करने का फैसला किया है.
सरकार का कहना है कि एमआईटी प्राइवेट फर्म थी. यह नामचीन मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का हिस्सा नहीं है. ऐसे में उसके साथ किसी करार करने से छात्रों को कोई फायदा नहीं होने वाला है.
पिछले साल सितंबर में जब यूपीटीयू ने एमआईटी के साथ एमओयू की घोषणा की थी, तब इसे बहुत प्रचार-प्रसार मिला. बाद में पता चला कि एमआईटी तो प्राइवेट इंडियन फर्म एमआईटी मीडिया लैब है.
UPTU के दावों की खुली पोल, फर्जी
इसका खुलासा तब हुआ जब मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने खुद मेल कर यूपीटीयू प्रशासन को साफ किया कि एमआईटी से उसका कोई संबंध नहीं है. इस मेल में यूपीटीयू के साथ किसी एमओयू से साफ मनाही की गई थी.
एमओयू पर दस्तखत के वक्त यूपीटीयू ने दावा किया था कि यहां के छात्रों को विश्व स्तरीय टेक्नोलॉजी और मीडिया लैब की सुविधा मिलेगी.
इसके तहत संस्थान को कैंपस में इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी आईईटी की स्थापना करनी थी. हालांकि, अब एमओयू रद्द हो जाने से सारे दावों की हवा निकल गई है.
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